Friday, 1 February 2019

नूह का जीवन

उत्पत्ति 6
इस अध्याय परमेश्वर के पुत्र ने मनुष्य के पुत्री के साथ विवाह करने की बात से शुरू होता है। आदम का वंश जो यहोवा की नाम को पुकारने वालों ने मनुष्य के पुत्री जो कैन और लेमेक के वंश अर्थात् परमेश्वर से दूर होकर अपने ताक़त पर भरोसा रखने वालों के पास चला गया है। परमेश्वर के पुत्र ने अपने पहचान को, अपने पवित्रता को खो दिया गया है। मनुष्य के पुत्री के पाप तो शुरू से ही था पर जब परमेश्वर के पुत्र ने परमेश्वर को छोढ़कर संसार की ओर चला गया है। तो परमेश्वर ने कहाँ, “मेरा आत्मा मनुष्य से सदा लों विवाद करता रहेगा, क्योंकि मनुष्य भी शरीर ही है; उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी।”  इस संसार में रहने वाला परमेश्वर के पुत्र का ज़िम्मेदार यह है। जैसा समुद्र में 3% के लगभग नमक है उस के चलते समुद्र का पानी सड़ जाता है। 
परमेश्वर अपने प्रेम के विषय के रूप में मनुष्यों को बनाया पर मनुष्य ने परमेश्वर की ओर से मोड़ कर अपने स्वर्थी भावना से भर गया है। परमेश्वर अपने प्रेमिका को संसार में खो दिया गया है। उस को ज़बरदस्त तो नहीं ले सकता है क्योंकि ऐसा है फिर भी सही प्रेम का संबंध नहीं हो सकता है। ऐसों के बीच में परमेश्वर के नज़र नूह पर गया है नूह के बारे में लिखा है  “नूह धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था; और नूह परमेश्‍वर ही के साथ साथ चलता रहा, परमेश्‍वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया।परमेश्वर के नज़र में निरंतर बुराई को उत्पन्न करने वालों के बीच में से नूह परमेश्वर के आज्ञा के अनुसार करते हुए, परमेश्वर के साथ साथ चलते हुए खरा निकला है। नूह की जहाज़ में एक ही एक ही द्वार और एक ही खड़की है मतलब यीशु मसीह ही के द्वारा हम उद्धार पा सकता है और परमेश्वर ही की ओर नज़र रखकर जीवन जीना है। संसार के लोग तो संसार के जीवन ही जीएगा पर हमारे जीवन परमेश्वर के साथ चलना है और परमेश्वर के आज्ञा के अनुसार होना है तब जैसे संमुद्र में नमक है वैसा ही हमारे जीवन के द्वारा इस संसार भी बच सकता है।

प्रभु!!!

हमारे जीवन भी नूह के सामन संसार की सदृष्य होकर परमेश्वर के बातों को अपने जीवन में मानते हुए आप के साथ चलने वाला जीवन होने दें। हाँ आत्मा मेरे जीवन में आकर हमें ऐसा शक्ति दे कि मैं आप के मार्ग पर चल सकूँ। आमीन 

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