उत्पत्ति 11
“आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें, ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े।” उत्पत्ति 10 अध्याय में निम्रोद ने अपने बल के आदर पर राज्य को बेबिलोन में बनाया है। हो सकता है वही लोगों में परमेश्वर का आज्ञा जो जल-प्रलय के बाद नूह और उस के पृत्रों के बीच में दिया गया है उस के ख़िलाफ़ में काम करने के लिए तैयारी हो गया है। गुम्मट बना कर उसकी चोटी आकाश से बातों करे अर्थात् परमेश्वर का महिमा के साथ चुनौती डालना चाहते थे, और अपने नाम को परमेश्वर के नाम के बदले इतिहास में रखने की कीशिश किया है और पृथ्वी में फैल कर परमेश्वर पर भारोसा रखने का जीवन से मोड़कर अपने बल के आदर पर दूसरे को कुचलने का जीवन को शुरू किया है।
उस के बाद परमेश्वर ने कहा, “मैं क्या देखता हूँ कि सब एक ही दल के हैं, और भाषा भी उन सब की एक ही है, और उन्होंने ऐसा ही काम भी आरम्भ किया; और अब जो कुछ वे करने का यत्न करेंगे, उसमें से कुछ भी उनके लिये अनहोना न होगा। इसलिये आओ, हम उतर के उनकी भाषा में गड़बड़ी डालें, कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सकें।” पाप से ग्रसित हुए मनुष्य ने परमेश्वर के विरोध में इतना भयानक काम को शूरू किया और उस काम को पूरा करने के लिए सक्षम भी था। तो परमेश्वर ने उस काम को रोकने के लिए भाषा में गड़बड़ डाल दिया है। परमेश्वर ने बढ़ता हुआ पाप का गति को कम कर दिया है। क्योंकि मनुष्य को समझाना चाहता है कि मसीह के अवश्यक्ता को और उस के आने का मार्ग को तैयार करना था। जब मसीह इस संसार में आया और उस के स्वर्गारोहण के बाद परमेश्वर का आत्मा, अर्थात् पवित्र आत्मा का उतारने की सिलसिला में सब से पहला चिंह्न भाषा में एकता होने की बात को दिखाया है। जब उद्धार को मार्ग खुल गया है तब परमेश्वर ने भाषा की गड़बड़ियों को ठीक कर दिया है। यहाँ तक आने के लिए लगभग 2000वर्ष का समय लग गया है।
संसार के लोग का पाप इतना अधिक बढ़ गया है तो परमेश्वर ने शेम के वंश में से एक जन को चुन कर अपने राज्य को बनाने की तैयारी करता है वह है अब्राहम। इस तरह से बाइबल में जहाँ वंशावली लिखा गया है उस का प्रयोजन यह है कि बाइबल की कहानी सत्य है जैसे एक एक का नाम को ज़िक्र करते हुए समय के धारा को आगे की ओर ले आता है और अंत में जिस व्यक्तित का नाम आता है तो उसका कहानी शुरू हो जाता है इस वंशावली में भी शेम से शूरू होकर अब्राहम तक लिखा गया है।
प्रभु !!!
हमें ऐसा समझ दें कि दो हज़ार वर्ष तक इंतज़ार करने वाला प्रेम और अनुग्रह को समझ सकें।
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