Wednesday, 1 April 2015

यीशु मसीह की विजय प्रवेश

दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्व में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आता है। खजूर की, डालियाँ लीं, और उस से भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, होशाना! धन्य इस्त्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है। जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला, तो उस पर बैठा। जैसा लिखा है, हे सिय्योन की बेटी, मत डर, देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।
(यूहन्ना 12:12-15)

यीशु मसीह यरूशलेम में प्रवेश करने के समय का वर्णन हम्हें इस पदों के द्वारा मिलता है। यीशु मसीह अपने काम को पुरा करने के लिये यरूशलेम नगर में प्रवेश करने जा रहा है। जब वह यरूशलेम नगर में प्रवेश कर रहा था उस समय लोग उनकी ओर पुकारने लगे हैं कि होशाना! धन्य इस्राएल का राजा, जो प्रभु के  मान से आता है। हाँ यीशु मसीह राजाओं का राजा है, प्रभुओं का प्रभु है। राजा अपने लोगों को रक्षा करता है, प्रभु लोगों को अपने संकटों से बचाता है। यीशु मसीह है मनुष्यों के मूल समस्या पाप के दंड मृत्यु से बचाने के लिये आया है। और आज यीशु मसीह उस बात को पुरा करने के लिये यरूशलेम नगर में प्रवेश करने जा रहा है। यीशु मसीह के समय के यहूदी लोगों को भी मसीहा के इंतजार में रहते थे। क्योंकि समसमय यहूदी लोग अन्य जाति के अधिन रहकर अपने धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक आजादी को खोन के कारन जनजीवन बहुत मुश्किल से चल रहा था। इस कारण यदि पुराना नियम में लिखा हुआ मसीह आना है तो इस युग में आना है। यूहन्ना के पुकार से लेकर यीशु मसीह साढ़े तीन साल के सेवकाई के दौरान यहूदी लोग यीशु के बारे में अलग से सोचने लगे कि यीशु हमारे राजा या प्रभु हो जाता तो हमारे समस्याओं को दूर कर सकता है। इस कारण वे लोग यीशु मसीह को यरूशलेम नगर में स्वगतम् करने के लिये पुरा शहर हलमच होने लगे है।
पर यीशु मसीह राजा, प्रभु का पदो को लेने के लिये हमारे सोचसे अलग रास्ता को लिया है शायद इस कारण लोग शुक्रवार के दिन यीशु मसीह को क्रुस में चढ़ाने के लिये अपने आवज को दे रहे थे। यीशु मसीह के मार्ग इस तरह के है - इस पर यीशु ने उन से कहा,
वह समय गया है, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो।
मैं तुम से सच सच कहता हूँ
कि जब तक गेहूँ का दाना
भूमि में पड़कर मर नहीं जाता,
वह अकेला रहता है;
परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है।
जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है;
और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता हे,
वह अनन्त जीवन के लिये उस की रक्षा करता करेगा।
यदि कोई मेरी सेवा करे,
तो मेरे पीछे हो ले;
और जहां मैं हूं वहां मेरा सेवक भी होगा;
यदि कोई मेरी सेवा करे,
तो पिता उसका आदर करेगा।
(यूहन्ना 12:23-26)

यीशु मसीह अपने काम को पुरा करने के लिये मृत्यु के रास्ता को चुन लिया है। जो क्रुस के मध्यम से हुआ है। तो यीशु मसीह अखिर में क्यों मरना अवश्य था क्योंकि बाइबल बताते है कि बिना लहू बहाए पोपों की क्षमा नहीं। हाँ हमारे पापों के कारण हम लोग अपने जीवन को खो दिया गया है इसलिये फिर से जीवन, लहू देकर ही हम लोगों को जीवन दिला सकता है जो परमेश्वर ने सृष्टि के समय से मानव जाति को दिया हुआ अनन्त जीवन, परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप का जीवन। परमेश्वर पवित्र और धर्मी है इसका मतलब परमेश्वर हमारे पापों को बिना किस वजह से माफ नहीं कर सकते हैं। इस कारण यीशु की जो परमेश्वर के बैठा और पापों में निर्दोष ठहरा गया। लहू, उसकी जन को क्रुस पर बरिदान देना अवश्य था।  
जब यीशु मसीह क्रुस से अपने कार्य को पुरा करने के बाद हम लोग परमेश्वर के साथ नया रिश्ता को शुरू करने का अवसर पाया गाय है।
1.      परमेश्वर के द्वारा स्वीकार(2कुरिन्थियों 5:21)
जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया कि हम उसमें होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएँ।
यीशु मसीह के इस कार्य के द्वारा हम लोग परमेश्वर के स्वीकार योग्य(धार्मिकता) ठहरा गया है। सब मनुष्य पापी है इस कारण परमेश्वर के स्वीकार योग्य होने के लिये किसी दुसरे का सहरा जरूर है। हमारे जितना कर्म अपने को फिर से परमेश्वर की ओर नहीं ले सकता है पाप स्वर्थी है। इस कारण हम अपने अहंकारी जीवन से मुक्त हो कर परमेश्वर की ओर मोड़ने नहीं देते है। पर यीशु मसीह से मरने के बाद परमेश्वर हमारे जीवन में आने का रास्ता खुल गया है।
परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बान्धूँगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। (यिर्मयाह 31:33)परमेश्वर ने अपने अनुग्रह और प्रेम के कारण हमारे लिये सारा उपाय को तैयार कर के रख दिया है हम विश्वास से इसको लेना है।

2.     घराने होना (यूहन्ना 1:12) परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।
परमेश्वर ने हम लोगों को सिर्फ पापों से बचाकर अपने हाथ को नहीं धोया है परमेश्वर हम लोगों को अपने संतान होने का अधिकार भी दिया गया है। अधिकार में यह एक गुप्त गुण है जो अपने अधिकार के बारे में जानकारी प्राप्त कर ने के बाद उसको प्रयोग करने से ही अधिकार अधिकार रहता है। मेरे सोच में दुनिया के लोगों में से सब से अधिक दुःख या व्यार्थ जीवन जीने वाला यह है कि वह खुद का पहचान को खो दिया है, और उसके बाद व्यार्थ जीवन यह है खुद का पहचान के योग्य जीवन नहीं जी रहा है। परमेश्वर हम लोगों को अपने संतान होने के लिये अपने एकलौटा बैटा को बरिदान दिया है। यीशु मसीह के जीवन का सब से बड़ा फल हम ही है। इसलिये हम जहाँ यीशु मसीह वहाँ उपस्थिति होना है।  

3.      दिवार को ढा दिया (इफिसियों 2:13-16)
परमेश्वर यीशु मसीह के कार्य के द्वारा हम और उसके बीच में किस तरह का बैर को नहीं छोड़ दिया है। हम यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के संगी वारिस में ठहर गया है। परमेश्व हम लोगों से पुर्णता के साथ व्यवहार करता है। अपन कुछ हिस्सा, या भाग देकर अपने को उच्चा करना, हम लोगों के भक्त को माँगने वाला नहीं है। परमेश्वर हम लोगों से पुर्णता के साथ प्रेम करते हैं। हम्हें भी परमेश्वर के पास आते है तो अपने पुर्णता के साथ आना है।

निकास :  बहुतों ने पुछते है कि गुड फ्रईडे के दिन हम खुशी मानना है या दुःख। यीशु मसीह दुःख उठाया है कि हम लोगों को अपने समानता में लेने के लिये। इसलिये हमलोगों भी इस समय दुसरों के लिये दुःख उठाना होगा जैसे यीशु मसीह ने हम लोगों के लिये किया था जब हम दुसरे के लिये दुःख या सेवा करने के लिये कदाम उठाते है तो जरूर हमारे जीवन में खुशी, आनन्द उत्पन्न होगा ही यह खुशी सिर्फ गुड फ्रईडे के दिन ही नहीं हमारे मसी जीवन में हमेशा होना है यीशु मसीह अपने लिये इस धरती नहीं आया वह दुसरो के लिये आया है।    

   

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