सप्ताह के पहिले दिन मरियम मगदलीनी
भोर को अंधेरा रहते ही कब्र पर आई, और पत्थर को कब्र से हटा हुआ देखा। तब वह दौड़ी
और शमौन पतरस और उस दूसरे चेले के पास जिस से यीशु प्रेम रखता था, आकर कहा,
“वे प्रभु को कब्र में से निकाल ले गए हैं,
और हम नहीं जानतीं, कि उसे कहाँ रख दिया है।”
तब पतरस
और वह दूसरा चेला निकलकर कब्र की ओर चले। वे दोनों साथ-साथ दौड़ रहे थे, परन्तु दूसरा चेला पतरस से आगे बढ़कर कब्र पर पहिले पहुंचा; और झुक कपड़े पड़े देखे, तौभी वह भीतर न गया। तब शमौन
पतरस उसके पीछे-पीछे पहुंचा, और कब्र के
भीतर गया और कपड़े पड़े देखे; और वह अंगोछा जो उसके सिर से बन्धा
हुआ था,
कपड़ों के साथ पड़ा हुआ नहीं, परन्तु अलग एक जगह लपेटा हुआ देखा।
तब दूसरा चेला भी जो कब्र पर पहिले पहुंचा था, भीतर गया और देखकर
विश्वास किया। वे तो अब तक पवित्रशास्त्र की वह बात न समझते थे, कि उसे मरे हुओं में से जी उठना होगा। तब ये चेले अपने घर लौट गए। परन्तु मरियम
रोती हुई कब्र के पास ही बाहर खड़ी रही, और रोते-रोते कब्र की ओर झुककर, दो स्वर्गदूतों को उज्जवल कपड़े
पहिने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहाँ
यीशु का शिव रखा गया था। उन्हों ने उससे कहा,
“हे नारी, तू क्यों रोती
है?”
उस ने उन से कहा,
“वे मेरे प्रभु को उठा ले गए और मैं नहीं जानती
कि उसे कहाँ रखा है।”
यह कहकर
वह पीछे मुड़ी और यीशु को खड़े देखा पर न पहचाना कि यह यीशु है। यीशु ने उस से कहा,
“हे नारी तू क्यों रोती है? जिस को ढूंढ़ती है?”
उसने माली समझकर उससे कहा,
“हे महाराज, यदि तू ने उसे
उठा लिया है तो मुझ से कह कि उसे कहाँ रखा है, और मैं उसे ले जाऊँगी।”
यीशु ने उस से कहा,
“मरियम!”
उस ने
पीछे मुड़कर उससे इब्रानी में कहा,
“रब्बूनी!” अर्थात् ‘हे गुरू’।
यीशु ने उससे कहा,
“मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर
नहीं गया, परन्तु मेरे भाइयों के पास जाकर उन से कह दे,
कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, और अपने
परमेश्वर,तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूं।”
मरियम मगदलीनी ने जाकर चेलों को बताया,
“मैंने प्रभु को देखा, और
उसने मुझ से ये बातें कहीं।”
उसी दिन जो सप्ताह का पहिला दिन था, सन्ध्या के समय जब वहाँ के द्वार
जहाँ चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बन्द थे, तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उन से कहा,
“तुम्हें शान्ति मिले।”
और यह कहकर उसने अपना हाथ और अपना पंजर उनको दिखाए।
तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए। यीशु ने फिर उनसे कहा, “तुम्हें शान्ति मिले; जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता
हूं।” यह कहकर उसने उन पर फूँका और उन से कहा,
“पवित्र आत्मा लो। जिन के पाप तुम क्षमा करो वे
उन के लिये क्षमा किए गए हैं जिन के तुम रखो, वे रखे गए हैं।”
परन्तु बारहों में से एक, अर्थात् थोमा जो दिदुमुस कहलाता है,
जब यीशु आया तो उनके साथ न था। जब अन्य चेले उससे कहने लगे,
“हम ने प्रभु को देखा है।”
तब उस ने उन से कहा,
“जब तक मैं उस के हाथों में कीलों के छेद न देख
लूं, और कीलों के छेदों में अपनी उंगली न डाल लूं, तब तक मैं विश्वास नहीं करूंगा।”
आठ दिन के बाद उस के चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उन के साथ था; और द्वार बन्द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर
कहा,
“तुम्हें शान्ति मिले।”
तब उसने थोमा से कहा,
“अपनी उँगली यहाँ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी
नहीं परन्तु विश्वासी हो।”
यह सुन थोमा ने उत्तर दिया,
“हे मेरे प्रभु, हे मेरे
परमेश्वर!”
यीशु ने उस से कहा,
“तू ने तो मुझे देखकर विश्वास किया है,
धन्य हैं वे जिन्हों ने बिना देखे विश्वास किया।”
यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के सामने दिखाए, जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गए।
परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है, और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ।
(यूहन्ना 20:1-31)
यीशु मसीह
कब्र में से जी उठने के बाद अपने लोगों के पास अपने को प्रगट किया है और वे लेगों
को बताना चाहता था कि विश्वास करो, शांति मिलो और पवित्र आत्मा को पाओं।
1. विश्वास करो
यीशु मसीह चाहता था कि लोग अपने को देखकर विश्वास करें। इस
कारण यीशु मसीह जब लोगों के पास आता था तो वे लोगों को विश्वास में लाने के लिये
पवित्रशास्त्र से समझाता था, अपने दुःखभोग हुए शरिर को भी दिखा कर चेलों को
विश्वास में लाना चाहता था। क्योंकि विश्वास के द्वार हम यीशु मसीह के पुनरूत्थान
में शामिल होकर अनन्त जीवन पा सके।(यू्हान्ना11:25-26, 20:31)
2.
शांति मिले
यीशु मसीह अपने चले के पास प्रगट करता था। तो उस समय अधिकतर चेले लोग घबराहट
में थे क्योंकि वे लोग समझ नहीं पाते थे और परमेश्वर के महीमा से रहित थे। शांति
हम्हें तब मिलते हैं जब हम उच्चि जगहों में उपस्थित हो। शांति सुनसान जगह, खली
दिमग से नहीं मिल सकता है। जब तक उच्चि जगहों में नहीं जाता है तब तक नहीं मिलता
है। समझने के लिये जरा सोचिएँ हम लोग अधिकतक सुबह घर को छोड़कर अपने काम के लिये
निकालते हैं और काम करते करते थक जाते हैं और सोचते है कि कब घर वापस जा सकेगा।
समय पुरा होने के बाद अपने घर में वापस आते है तो क्षणभर के लिये शांति को महसूस
करता है क्योंकि हम लोग अपने उच्चित जगहो में आ गया है। तो मनुष्य के लिये
सर्वोत्तम उच्चित जगह कहा है? वह है परमेश्वर के पास। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने साथ संगति
करने के लिये अपने आनन्द को भाँत ने के लिये सृजा गया है इसलिये मनुष्य परमेश्वर
के बिना शांति को नहीं पा सकते हैं। पापों के कारण परमेश्वर के महीमा से रहीत होने
के बाद से मनुष्य शांति की खोज में है। वह शांति को यीशु मसीह ने हम्हें देना
चाहते हैं। “मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, और अपने
परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूँ।” यीशु
मसीह हम लोगों को परमेश्वर से मिला कर हम्हें शांति को प्रदान करना चाहता है। “तुम्हें शांति मिले”
3.
पवित्र आत्मा लो
यीशु मसीह दुनिया में रहने के समय अपने लोगों को पवित्र आत्मा के बारे में
समझाने में अधिक बल दिया गया है। क्योंकि हम लोग पवित्र आत्मा के द्वारा यीशु मसीह
के जैसा जीवन जी सकता है और उसके अलावा हमारे पास दुसरा आशा है ही नहीं। जब यीशु
मसीह तिविरियास झील के किनारे में पतरस के साथ बात करने के समय यीशु के पास और
ज्यादा समय नहीं था, और वह अपने लोगों को, पतरस को साढ़े तीन साल के सेवा कार्य के
कल में सब कुछ दिखाया, सिखाया, समझाया, फिर भी उसके उत्तम चेले अपने पहचान को खो
कर मछली पा करने, अपने पुराने जीवन की ओर फिरा कर जीना शुरू हो गया है। ऐसा वक्त
में फिर से यीशु मसीह ने पतरस को उत्साह दे रहा है पवित्र आत्मा के आगमन पर भारोसा
रखकर, न पतरस के सुधार पर। हम यीशु मसीह के गवाह का जीवन जीना है। यह सिर्फ पवित्र
आत्मा के द्वारा ही हो सकता है। “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ्य पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया मे, और पृथ्वी की छोर तक मेरे
गवाह होगे।”
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