Monday, 20 April 2015

मैं कौन हूँ? (Who I am?) 2



परमेश्वर के अनुग्रह से परमेश्वर के अंदर में रहने से...



मैं पुर्ण रूप से क्षमा मिल गया, और धर्मी ठहरा(रोमियों 5:1)
मैं मसीह यीशु के साथ मर गया हूँ और पाप के दासत्व से भी मर गया हूँ(रोमियों 6:1~6)
मैं सदा के लिये दन्ड माफ हो गया हूँ(रोमियों 8:1)
मैं पाप और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र हो गया हूँ(रोमियों 8:2)
मैं परमेश्वर के अनुग्रह ही से मसीह यीशु मे ठहर गया हूँ(1कुरिन्थियों 1:30)
मैं पवित्र आत्मा को पा लिया
ताकि उस के द्वारा प्रभु की अनुग्रह को पहचन सकता हूँ(1कुरिन्थियों 2:12)
मुझ में यीशु मसीह का मन है(1कुरिन्थियों 2:16)
मैं दम दे कर मोल लिया गया हूँ इसलिए मैं अपना नहीं परमेश्वर के हूँ(1कुरिन्थियों 6:19,20)
मैं मसीह में दृढ़,अभिषेक परमेश्वर के द्वारा किया गया हूँ
और मुझ में पवित्र आत्मा का छाप लागी
जो स्वार्गीय मीरास का बयान है(2कुरिन्थियों1:21, इफिसियों 1:13,14)
मैं मरा चुका हूँ इसलिए अपने लिए नहीं बल्कि मसीह यीशु के लिए जी रह हूँ(2कुरिन्थियों 5:14,15)
मैं धर्मिक्ता बन गया हूँ(2कुरिन्थियों 5:21)
मैं मसीह के साथ क्रुस पर चढ़ाया गया हूँ,
अब मैं जीवित न रहा, इसलिए अभी से मेरा जीवन मसीह के लिए है(गलातियों 2:20)
मैं सब प्रकार की आत्मिक आशीष प्राप्त किया हूँ(इफिसियों 1:3)
मैं जगत की उत्पत्ति से पहले चुना गया, पवित्र निर्दोष हूँ(इफिसियों 1:4)
मैं परमेश्वर  के भले अभिप्राय से उसके लेपालक पुत्र ठहर गया हूँ(इफिसियों 1:5)
मैं प्रभु के अनुग्रह से मसीह के साथ जिलाया गया हूँ (इफिसियों 2:5)
मैं मसीह यीशु के साथ उठाया गया हूँ,
और उस के साथ स्वार्गीय स्थानों मे बैठ भी गया हूँ(इफिसियों 2:6)
मैं पवित्र आत्मा में परमेश्वर के पास पहँच गया हूँ(इफिसियों 2:18)
मैं साहस और भरोसा के साथ परमेश्वर के पास जा सकता हूँ(इफिसियों 3:12)
मैं अधकार के वंश से परमेश्वर के राज्य में प्रवेशी किया हूँ(कुलुस्सियों 1:13)
मैं पापों से छुतकरा और क्षमा प्राप्त किया हूँ(कुलुस्सियों 1:14)
मुझ में मसीह यीशु रहता है(कुलुस्सियों 1:27)
मैं यीशु मसीह में जड़ पकड़ता और बढ़ता जाता हूँ(कुलुस्सियों 2:7)
मैं मसीह में भरपूर हुआ हुँ(कुलुस्सियों 2:10)
मैं मसीह का खतना हुआ हूँ , जिससे शारीरिक देह उतार दी जाती है (कुलुस्सियों 2:11)
मैं मसीह के साथ गाड़ा गया, जिलाया, उसके साथ जी भी उठा हूँ(कुलुस्सियों 2:12,13; 3:1~4)
मैं परमेश्वर  के सामर्थ्य और प्रेम और संयम की आत्मा लिया हूँ (2तीमुथियुस 1:7)
मैं उद्धार पाया हूँ और परमेश्वर के अनुग्रह से पवित्र किया गया हूँ(2तीमुथियुस 1:9,तीतुस 3:5)
मैं पवित्र करनेवालों के द्वारा पवित्र किया गया
इसलिए उसके साथ भाई कहलाने से लजाता नहीं हूँ(इब्रानियों 2:11)
मैं उस अनुग्रह को पाया हूँ जो मेरा अवश्यकता के समय सहायता करता है
और मुझ को अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बाँधकर ले चलता है(इब्रानियों 4:16)
मैं बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएँ प्राप्त किया हूँ

उसके द्वारा परमेश्वरिय स्वभाव में समभागी है(2पतरस 1:4)

मैं कौन हूँ? (WHO I AM)1


मैं कौन हूँ?

मैं पृथ्वी के नमक हूँ(मत्ती 5:13)
मैं जगत की ज्योति हूँ(मत्ती 5:14)
मैं परमेश्वर की संतान हूँ (यूहन्ना १:१२)
मैं सच्ची दाखलता की डलियाँ और मसीह के जीवान की द्वार हूँ(यूहन्ना 15:1,5)
मैं यीशु मसीह के मित्र हूँ (यूहन्ना 15:15)
मैं यीशु मसीह के द्वारा चुना हुआ हूँ कि जा कर फल ला सके(यूहन्ना 15:16)
मैं धर्म के दास हूँ(रोम 6:18)
मैं परमेश्वर  के पुत्र हूँ, परमेश्वर मेरा आत्मिक पिता है(रोम 8:14,15 गलातियों 3:26,4:6)
मैं परमेश्वर के वारिस और मसीह के संग वारिस हूँ(रोम 8:17)
मैं परमेश्वर  का मंदिर हूँ, और परमेश्वर का आत्मा मुझ में वास करता है(1कुरि 3:16,6:19)
मैं परमेश्वर के साथ जुड़ गया और उसके साथ एक ही आत्मा हूँ(1कुरि 6:17)
मैं यीशु मसीह की देह के अंग हूँ(1कुरि 12:27, इफि 5:30)
मैं नयी सृष्टि हूँ(2कुरि 5:17)
मैं परमेश्वर  के साथ मेल-मिलाप हुआ हुँ
और परमेश्वर ने मुझे मेल -मिलाप का सेवा सौप दिया(2कुरि5:18,19)
मैं परमेश्वर  के संतान हूँ, और मसीह यीशु में एक हूँ(गलातियों 3:26,28)
मैं परमेश्वर  का पुत्र हूँ इसलिए परमेश्वर  का वारिस भी हूँ(गलातियों 4:6,7)
मैं यीशु मसीह का प्रेरित हूँ(इफि1:1,1कुरि1:2, फिलिप्पियों 1:1, कुलुस्सियों 1:2)
मैं परमेश्वर के बनाए हुए हूँ,
और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिए नया जन्म पाया हूँ(इफिसियों 2:10)
मैं पवित्र लोगों के संगी स्वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गया हूँ(इफिसियों 2:19)
मैं मसीह यीशुका बंदि हूँ(इफिसियों 3:1,4:1)
मैं धर्मिक और पवित्र हूँ (इफिसियों 4:24)
मैं स्वर्गीय निवासी हूँ
और स्वर्गीय स्थानों में यीशु मसीह के साथ बैठ गया हूँ(फिलिप्पियों 3:20, इफिसियों 2:6)
मैं मसीह यीशु के साथ परमेश्वर  में छिपा हुआ हूँ(कुलुस्सियों 3:3)
मैं यीशु मसीह के जीवन हूँ
और यीशु मसीह के साथ महिमा सहित प्रगत किया जाऊँगा(कुलुस्सियों3:4)
मैं परमेश्वर  के द्वारा चुने हुओं के समान
जो पवित्र और प्रिय हूँ (कुलुस्सियों 3:12, नीतिवचन 1:4)
मैं ज्योति के संतान हूँ न अंधकार के(1थिस्सलुनीकियों 5:5)
मैं स्वर्गीय बुलाहट में भागी, पवित्र भाईयों में एक हूँ (इब्रानियों 3:1)
मैं मसीह यीशु के भागीदार, जीवन की भागीदार हूँ(इब्रानियों 3:14)
मैं यीशु मसीह में जीवता पत्थर हूँ जो आत्मिक घर बनाने में योग्य है(1पतरस 2:5)
मैं एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज,
और पवित्र लोग, और परमेश्वर की निज प्रजा हूँ(1 पतरस 2:9-10)
मैं इस दूनिया में परदेशी और यात्री हूँ(1पतरस2:11)
मैं शैतान की दूष्मान हूँ(1पतरस5:8)
मैं परमेश्वर की सन्तान हूँ और जब यीशु मसीह प्रगट होगा
तो मैं भी उसके समान होऊँगा(1 यूहन्ना 3:1,2)
मैं परमेश्वर से उत्पन्न हुआ हूँ और मुझको दुष्ट छूने नहीं पाता(1 यूहन्ना 5:18)
मैं जो हूँ, सो नहीं हूँ(निर्गमन 3:14; यूहन्ना 8:24,25,28),
परन्तु मैं जो कुछ भी हूँ, परमेश्वर के अनुग्रह से हूँ(1कुरिन्थियों 15:10)

उड़ाऊ पुत्र

फिर उस ने कहा,
किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। उन में से छुटके ने पिता से कहा,
हे पिता, संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए।
उस ने उन को अपनी संपत्ति बाँट दी। बहुत दिन न बीते थे कि छोटा पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया, और वहाँ कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी। जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया। इसलिये वह उस देश के निवासियों में से एक के यहाँ जा पड़ा। उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा। और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे, अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था। जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा,
मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर की समान रख ले। तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा। पुत्र न उस से कहा,
पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊँ।
 परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा,
झट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ, और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खाँए और आनन्द मनाएँ। क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गय था, अब मिल गया है।
और वे आनन्द करने लगे। परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था। जब वह आते हुए घर के निकट पहुँचा, तो उस ने गाने-बजाने और नाचने का शब्द सुना। अतः उस ने एक दास को बुलाकर पूछा,
यह क्या हो रहा है?’
उस ने उस से कहा,
तेरा भाई आया है; और तेरे पिता ने पला हुआ बछड़ा कटवाया है, इसलिये कि उसे भला चँगा पाया है।
यह सुनकर वह क्रोध से भर गया, और भीतर जाना न चाहा, परन्तु उसका पिता बाहर आकर उसे मनाने लगा। उस ने पिता को उत्तर दिया,
देख, मैं इतने वर्ष से तेरी सेवा कर रहा हूँ, और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तू ने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया, कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता। परन्तु जब तेरा यह पुत्र, जिस ने तेरी संपत्ति वेश्याओं में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तू ने पला हुआ बछड़ा कटवाया।
उस ने उस से कहा,
पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है। परन्तु अब आनन्द करना और मगन होना चाहिए क्योंकि यह तेरा भाई मर गया था, फिर जी गया है; खो गया था, अब मिल गया है।
(लूका 15:11-33)

इस दृष्टांत में दो पुत्र की कहानी है, जो आज हम उसके रूप को लेकर जी रहे हैं और पिता, परमेश्वर को दर्शाता है।

दो पुत्र के समस्या एक ही है पहला, वे लोग अपने पहचान को नहीं पहचान पाया है।
 वे पिता के पुत्र का स्थान को नहीं जानते थे। इसलिये अनुज पुत्र पिता से अपने संपत्ति के हिस्सा को माँग कर दूर देश में चला गया है। जेठा पुत्र भी जब अपने अनुज प्रदेश से घर वापस आने का खुश को पिताजी ने अपने लोगों के साथ माना रहे थे, उस समय में अनुज की प्रति पिता के प्रेम को न समझकर क्रोध होकर पिता से बात की, देख, मैं इतने वर्ष से तेरी सेवा कर रहा हूँ, और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तू ने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया, कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता। परन्तु जब तेरा यह पुत्र, जिस ने तेरी संपत्ति वेश्याओं में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तू ने पला हुआ बछड़ा कटवाया।उसके बाद पिता जी जेठा पुत्र को समझाते हुए कहा, पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है। इस वार्तालब से हम देख सकते है कि  जैठा पुत्र भी पिता के यहाँ रहकर भी अपने पहचान को नहीं जाना। यही इस परिवार का मुखिय समस्या है। एकने अपने पहचान को खोकर दुसरे जगहों में जाकर धन, दोस्ती, अपने कार्यों के द्वारा अपने पहचान को बनाना चाहा, दुसरा अपने घर में रहकर भी अपना स्थान जो जेठा पुत्र के स्थान को नहीं  संभल दिया है। जब मनुष्यों अपने पहचान को गलत जगहों, गलत तरीके से बनाने के लिये प्रयास करने से बहुत सारा समस्या खड़ा होता है। बाइबल बताती है कि मनुष्य परमेश्वर के द्वारा उसके समानता में, स्वरूप में रचाया गया है और परमेश्वर ने उन्हें आशिष दिया है। उस समय मनुष्य के पास परमेश्वर के बुद्धि, महिमा, अधिकार और परमश्वर के साथ संगति मनुष्यों के पास था। जैसे अनुज पुत्र अपने पिता के घर में रहकर पिताजी के द्वारा सासे सुविधा को मिलता था। पर जब समय आ गया ) उड़ाऊ पुत्र अपने पिता के घर से दूर की देश में गया, कुछ समय तक उसके लिये सब कुछ ठीक था, पर अपने संपत्ति को कुकर्म से पुरा खत्म करने के बाद जहाँ वह रहता था उस देश में अकाल पड़ा, वह कंगाल हो गया, रोजगरी नहीं मिलने पार उसकी हलात और बिगड़ता गया, यहाँ तक की वह सूअर को चराने के लिये भी तैयारी हो गया पर उससे कुछ होने वाला नहीं था, और उसका हल बिगड़ता हुआ चल गया, सूअर के चारे के द्वारा अपने भुखको मिटाने के लिये कोशिश किया पर निकम्मा हो गया है।  
मनुष्य परमेश्वर के साथ अश्रय जीवन को छोड़कर अपना अहँकारी जीवन में प्रवेश किया जब से मनुष्यों के परिस्थिति के संबंध में बाइबल बताती है, कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं। कोई समझदार नहीं; कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं। सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए हैं; कोई भलाई करने वाला नहीं, एक भी नहीं। उनका गला खुली हुई कब्र है, उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है, उनके होठों में साँपों का विष है। उनका मुँह श्राप और कड़वाहट से भरा है। उनके पाँव लहू बहाने को फुर्तीले है, उनके मार्गों में नाश और क्लेश है, उन्होंने कुशल का मार्ग नहीं जाना। उनकी आँखों के सामने परमेश्वर का भय नहीं।(रोम 3:10-18) कोई आशा मनुष्य के पास नहीं बचा।
तब उड़ाऊ पुत्रने अपने पिता के घर को याद आया, अपने गलतियों को समझने लगे, पश्चाताप करने के बाद और पिता के घर वापस जाने की निर्णय लिया। हमारे जीवन में भी अलग अलग तरीके से समस्या आते हैं और उस समस्या को निभाने के लिये जिन्दगी जुट जाता है पर मूल समस्य को नहीं देख पाता है। वह है खोए हुए पहचान को कैसे वापस कर सकते हैं। जैसे उड़ाऊ पुत्र ने अपने पहचान को गलत जगहों से गलत तरीके से बनाने के लिये स्वर्ग के विरोध में अपने पिता के विरोध में पाप किया था और उसके फल स्वरूप खोये हुए पहचान को फिर वापस करने के लिये पिता के पास वापस जाने का निर्णय लिया तो हम लोग कैसे अपने पहचान को फिर से वापस कर सकते हैं बाइबल बताते है कि परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।(यूहन्ना 1:12) यीशु मसीह को अपने उद्धार कर्ता के में स्वीकर, विश्वास करना है। मनुष्य परमेश्वर के बात को उल्लघण करके पाप में फँस गया है इसलिए उससे निभाने के लिये परमेश्वर के द्वारा किया हुआ रास्ता के द्वारा ही वापस आ सकते हैं वह है यीशु मसीह।
यीशु मसीह पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार हमारे पापों के लिये मर गया, और गाड़ा गया, और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा, और परमेश्वरक संहासन के दहिने ओर जा बैठा है, एक दिन जिवितों और मृतकों न्याय करने के लिये फिर से आएगा। यीशु के नाम पर विश्वास करने से लेपालकपन आत्मा मिली है, जिससे हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं। हम ध्यान से सोचना है कि हम कौन हैं? मेरा अपना पहचान क्या है? बाइबल के अनुसार जो लोग यीशु मसीह में है उन लोगों का पहचान कुछ इस तरह का है। मैं यीशु मसीह के जीवन के द्वारा खरिदा गया परमेश्वर के संतान है और पवित्र आत्मा के साथ चालने वाला स्वर्ग राज्य के वारिस हूँ।  यह कितना अनोखि बात है हम परमेश्वर के संतान और यीशु मसीह के संगी वारिस का सहभागी है। हम लोग किस और बात पर नहीं यही बात पर विश्वास करने वाला है। हमारे पहचान संसार के किस लोगों के मुह के द्वारा निकाले वाला नहीं है। हमारे पहचान जीवित परमेश्वर के वचनों से होता है, जो वचन, परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि के समय में बोलता था।


दो पुत्रों के दुसरा समस्या यह है कि पिता के साथ सही रिश्ता में नहीं रहे हैं। 
अनुज पुत्र तो पिता जी से अपने संपत्ति के हिस्सा को माँगकर चला गया है तो हम आसपास रूप से देख सकते हैं और जैठा पुत्र भी पिता के घर में रहकर पिता के साथ सही रिश्ता में नहीं रहा। जब अपने भाई की ओर पिता का भावना क्या है? पिता का ध्यान किसकी ओर है? अदि के संबंध में कुछ भी जानकारी नहीं था। सिर्फ अपने जगहों में रहकर अपना जीवन को व्यक्त करता रहा। न तो पिता से रिश्ता जोड़ना, न तो खोये हुए अनुज भाई के साथ। इसकारण वह घर में रहकर भी पिता के मन को नहीं जान सकता था। और जब पिता अपने छोटा भाई की प्रति अनुग्रह के भावना को दिखाने लागे है तो क्रोध हुआ  है। परमेश्वर हमारे जीवन के द्वारा हम लोगों के साथ रिश्ता को मजबुत बनाना चाहते हैं और कोई नहीं। इसलिये यीशु मसीह को हमारे लिये बलिदान देने भेजा गया है। और वह हम लोगों को फिर से बाप बैठा के रिश्ता को पुननिर्मण कर दिया है। रिश्ता सिर्फ समय बित जाने से मजबुत नहीं होता है। हम दुसरे से रिश्ता को बढ़ने की इच्छा रखते हुए एक दुसरे को जाने के लिये  प्रयास करना है। हम हमारे परमेश्वर को परमेश्वर के वचनों के द्वारा जान सकते हैं और हमारे प्रार्थना के जीवन के द्वार जान सकता है।  पर रिश्ता को बढ़वा सिर्फ जानकारी के साथ नहीं हो सकता है।  जानकारी के साथ हम लोग एक दुसरे को स्वीकार करना होगा। परमेश्वर ने तो हम लोगों को इस तरह से स्वीकर किया है, परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।(रोम 5:8) हम लोगों भी परमेश्वर को अपने जीवन में उत्तम स्थान देना होगा क्योंकि उसने मेरे जैसा अयोग्य व्यक्ति के लिये भी अपने एकलौते पुत्र को दिया गया है। तो हम उसके पास आते है तो अपने संपुर्ण जीवन के साथ आना होगा तो हमारे रिश्ता परमेश्वर के साथ आगे जा है।